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madhya pradesh officials gave notice for recovery of money received in pm kisan samman nidhi

PM किसान निधि में मिले पैसों की वसूली का अधिकारियों ने थमाया नोटिस, रिकवरी न होने पर कुर्की की धमकी

madhya pradesh officials gave notice for recovery of money received in pm kisan samman nidhi


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सवाल उठता है कि शासन ने जल्दबाजी में बिना जांच पड़ताल किए किसानों के खाते में पैसा क्यों डाल दिए और अब अपनी गलती का ठीकरा किसानों के सिर फोड़कर वसूली क्यों की


PM kisan Samman Nidhi में मिले पैसों की वसूली का अधिकारियों ने थमाया नोटिस, रिकवरी न होने पर कुर्की की धमकी


किसानों को मिला रिकवरी का नोटिस


केंद्र सरकार द्वारा किसानों को दी जाने वाली पीएम किसान सम्मान निधि की वसूली करने का मामला सामने आया है, जिसमें अधिकारियों द्वारा अपात्र किसानों को नोटिस देकर उनसे वसूली की जा रही है. समय सीमा में पैसे न जमा करने पर कुर्की करने की धमकी भी दी जा रही है. किसानों का आरोप हैं कि अगर वह पहले ही अपात्र थे तो फिर उन्हें यह राशि क्यों दी गई. तब क्यों इस बात की जांच नहीं की गई कि वो पात्र हैं या नहीं.


मामला छतरपुर जिले की महराजपुर तहसील का है. जहां बुधवार को दर्जनों किसान अपनी शिकायत को लेकर तहसील कार्यलय पहुचें. बेदार गांव निवासी किसान का कहना है कि उन्हें अब तक सिर्फ 2 हजार रुपये ही बैंक खाते में मिले हैं, जबकि वसूली का नोटिस 10 हजार रुपये का थमा दिया गया हैं.


PM kisan Samman Nidhi 


ऐसे में वो पैसा कहां से चुकाएंगे. किसान ने बताया कि उनके पिता के आधार कार्ड पर किसी और खाते में पैसा जमा हो रहा है और अधिकारी जांच करने को राजी नहीं हैं और कुर्की करने की धमकी दे रहे हैं. जब पैसा मिला ही नहीं तो वसूली किस बात की. किसान ब्रजेश तिवारी का कहना है कि उनके माता-पिता दोनों को अलग-अलग खेती की जमीन (बन्दी) के हिसाब से पैसे किश्तों के माध्यम से दिये गये हैं. जबकि अब एक मुश्त पैसा उनकी माता के नाम से नोटिस जारी कर मांगा जा रहा है. उनका कहना है कि हम गरीब किसान हैं ऐसे में वो पैसे कहां से दें.


एक अन्य किसान का कहना है कि माता-पिता दोनों के नाम से फॉर्म जमा किया था. अब कह रहे हैं कि परिवार में एक को ही मिलेगा, अगर दूसरे को मिला है तो वापस करना होगा.


लोगों ने भरा था घोषणा पत्र- तहसीलदार

महराजपुर तहसीलदार सुनील वर्मा का कहना है कि शासन से हमें अपात्र किसानों की सूची उपलब्ध कराई गई है, जिसके तहत ही किसानों को वसूली के नोटिस दिये जा रहे हैं. जब उनसे पूछा गया कि अपात्र को पात्र किसने बनाया तो उन्होंने जवाब में कहा कि लोगों ने घोषणा पत्र खुद भरा था, जिसमे उल्लेख था कि अपात्र होने पर वसूली की जायेगी.


अपनी गलती का ठीकरा किसानों के सिर

अब हैरानी इस बात की भी है कि जब आयोजन को सफल बनाना था तो बड़ी संख्या में किसानों से फॉर्म भरवाए गए. अब जब लोगों ने बढ़ चढ़ कर फॉर्म भर दिए तो उन्हें नियम बता कर वसूली की जा रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि शासन ने जल्दबाजी में बिना जांच पड़ताल किए किसानों के खाते में पैसा क्यों डाल दिए और अब अपनी गलती का ठीकरा किसानों के सिर फोड़कर वसूली क्यों की जा रही है.

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