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किस धर्म में अधिक पैदा हो रहे बच्चे हिंदू या मुस्लिम? NFHS की रिपोर्ट आई सामने

किस धर्म में अधिक पैदा हो रहे बच्चे हिंदू या मुस्लिम? NFHS की रिपोर्ट आई सामने


देश की आबादी की रफ्तार में कमी देखने को मिल रही है। वहीं बेटे ही पैदा हो इस सोच में भी बदलाव आया है। हालांकि घरेलू हिंसा के मामले कम होने की बजाय पहले की तुलना बढ़ गए हैं। नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की ताजा रिपोर्ट में कई और बातें निकलकर सामने आई हैं।


भारत में प्रजनन दर 2.2% से घटकर 2% ,NFHS की आई रिपोर्ट


35% पुरुषों का मानना है कि गर्भनिरोधक अपनाना महिलाओं का काम


दो बेटियों वाली 65 फीसदी महिलाएं ऐसी जिन्हें बेटे की ख्वाहिश नहीं


जनसंख्या बढ़ रही, घट रही है या स्थिर है इसको लेकर लोगों के मन में कई सवाल रहते हैं। नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) की ताजा रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि देश में बच्चे पैदा करने की रफ्तार कम हुई है। (National Family Health Survey) रिपोर्ट के मुताबिक, देश में बच्चे पैदा करने की रफ्तार 2.2% से घटकर 2% रह गई है। बच्चे कम पैदा हो रहे हैं (Total Fertility Rate ) और सभी धर्मों में यह पहले की तुलना में कम हुआ है। वहीं बेटियों को लेकर देश में धीरे ही सही लेकिन सोच बदल रही है। देश में दो बेटियों वाली 65 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं जिन्हें बेटे की कोई ख्वाहिश नहीं है। नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की ताजा रिपोर्ट में यह बात निकलकर आई है।


किस धर्म में किस रफ्तार से बढ़ रही जनसंख्या


सभी धार्मिक समूहों में अब पहले की तुलना में कम बच्चे पैदा हो रहे हैं। 2015-16 में किए गए चौथे नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) और पांचवें 2019 - 21, इस सप्ताह की शुरुआत में जारी आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है। आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि उच्च प्रजनन दर वाले समूहों में तेजी से गिरावट देखी जा रही है। इस प्रकार, मुसलमानों में एनएफएचएस -4 और एनएफएचएस -5 के बीच 2.62 से 2.36 तक 9.9% की सबसे तेज गिरावट देखी गई है। यह अन्य समुदायों की तुलना में अधिक है। 1992-93 में सर्वेक्षणों की शुरुआत के बाद से, भारत में TFR कुल प्रजनन दर 3.4 से 40% से अधिक गिरकर 2.0 हो गया है। साथ ही यह उस लेवल पर पहुंच गया है जो जनसंख्या आंकड़े को स्थिर रखे।


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एक ही समुदाय के लिए TFR राज्यों के हिसाब से अलग


राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों से पता चलता है कि मुसलमानों के अलावा अन्य सभी प्रमुख धार्मिक समूहों ने अब प्रतिस्थापन स्तर (Replacement Rate) से नीचे का टीएफआर हासिल कर लिया है। वहीं सर्वे के प्रत्येक चरण में तेजी से गिरावट के बावजूद मुस्लिमों के बीच यह रेट थोड़ा अधिक है। एनएफएचएस के अब तक के पांच सर्वे में मुस्लिम टीएफआर (Total Fertility Rate) में 46.5 फीसदी की गिरावट आई है, हिंदुओं में 41.2 फीसदी और ईसाइयों और सिखों के लिए लगभग एक तिहाई की गिरावट आई है।


यह भी देखने में आया है कि एक ही समुदाय के लिए टीएफआर राज्यों के हिसाब से अलग है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में हिंदुओं का टीएफआर 2.29 है, लेकिन तमिलनाडु में उसी समुदाय का टीएफआर 1.75 है, जो प्रतिस्थापन दर से काफी कम है। इसी तरह, यूपी में मुस्लिम टीएफआर 2.66 है, लेकिन तमिलनाडु में यह 1.93 है, जो फिर से प्रतिस्थापन दर से नीचे है।


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गर्भनिरोधक को लेकर क्या सोचते हैं पुरुष


सर्वे में 35% पुरुषों का मानना है कि गर्भनिरोधक अपनाना महिलाओं का काम है। वहीं, 19.6% पुरुषों का मानना है कि गर्भनिरोधक का उपयोग करने वाली महिलाएं स्वच्छंद हो सकती हैं। सर्वे में देश के 28 राज्यों और 8 केंद्रशासित प्रदेशों के 707 जिलों से करीब 6.37 लाख सैंपल लिए गए। चंडीगढ़ में सबसे अधिक 69% पुरुषों का मानना है कि गर्भनिरोधक अपनाना महिलाओं का काम है और पुरुषों को इस बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। केरल में सर्वेक्षण में शामिल 44.1 प्रतिशत पुरुषों के अनुसार गर्भनिरोधक का उपयोग करने वाली महिलाएं स्वच्छंद हो सकती हैं। केवल 5 राज्य ऐसे हैं जहां प्रजनन दर 2.1% से ज्यादा है। ये हैं - बिहार, मेघालय, उत्तर प्रदेश, झारखंड और मणिपुर।


बेटे की ख्वाहिश कम लेकिन घरेलू हिंसा के मामले बढ़े


देश में दो बेटियों वाली 65 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं जिन्हें बेटे की कोई ख्वाहिश नहीं है। नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की ताजा रिपोर्ट में यह बात निकलकर आई है। रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं पर घरेलू हिंसा के मामले बढ़े हैं। देश भर में 79 फीसदी महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार है। 79.4% महिलाएं कभी भी अपने पति के जुल्मों की शिकायत ही नहीं करतीं।


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सेक्सुअल असॉल्ट के मामले में भी स्थिति खराब है। देश की 99.5 फीसदी महिलाएं ऐसे मामलों में चुप्पी साध लेती हैं। शहरों के मुकाबले गांवों में घरेलू हिंसा ज्यादा आम है। सेक्सुअल हिंसा के केस में सर्वे 28 राज्यों और आठ केंद्र शासित प्रदेशों के 707 जिलों में किया गया। देश में 59 फीसदी महिलाओं को बाजार, हॉस्पिटल या गांव से बाहर जाने की इजाजत नहीं मिलती। जहां तक रोजगार की बात है तो शादीशुदा 32 फीसदी महिलाएं नौकरी करती हैं।

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